✍️पवन रावत,
भवाली/नैनीताल।
प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल बाबा नीम करौली महाराज के पावन धाम कैंची धाम में इस वर्ष भी स्थापना दिवस का पर्व अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और भव्यता के साथ मनाया जाएगा।15 जून को आयोजित होने वाले इस दिव्य आयोजन को लेकर मंदिर समिति, जिला प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों द्वारा तैयारियां ज़ोरों पर चल रही हैं।
मंदिर समिति के उपाध्यक्ष भुवन बिष्ट ने जानकारी दी कि इस बार तीन से चार लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। श्रद्धालुओं की सुविधा एवं सुचारु आयोजन के लिए मंदिर और आसपास के क्षेत्रों में व्यवस्थाएं तेज़ी से की जा रही हैं।
अखंड हनुमान चालीसा का पाठ शुरू, पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन की तैयारी-
स्थापना दिवस से पहले अखंड हनुमान चालीसा पाठ प्रारंभ हो चुका है, जो 15 जून तक प्रतिदिन सुबह-शाम जारी रहेगा। स्थापना दिवस के दिन विशेष पूजा-अर्चना, हवन, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे। मंदिर प्रांगण को फूलों, पारंपरिक तोरणों और रंग-बिरंगी विद्युत सजावटसे सजाया जाएगा।
50 कुशल रसोइयों की टीम तैयार करेगी पारंपरिक मालपुआ प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित किए जाने वाले प्रसाद की तैयारियों को लेकर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मंदिर समिति के अनुसार इस बार 50 से अधिक कुशल रसोइयों की टीम तैनात की गई है जो पारंपरिक विधि से मालपुआ प्रसाद तैयार करेगी। इसके लिए हजारों किलो आटा, दूध, घी, चीनी और सूखे मेवे एकत्र किए जा चुके हैं।
प्रसाद वितरण व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाने के लिए प्रशासन द्वारा बैरिकेडिंग और कतार व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन द्वारा यातायात नियंत्रण, सुरक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाओं के विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं।
दूर-दराज से आने वाले भक्तों के लिए विशेष परिवहन सुविधा और अस्थायी विश्रामगृहों की भी व्यवस्था की जा रही है, जिससे सभी श्रद्धालु बिना असुविधा के दर्शन कर सकें। बाबा नीम करौली महाराज का यह धाम केवल भारत में ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी श्रद्धा का केंद्र बन चुका है। एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग जैसे अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भी यहां आकर आशीर्वाद प्राप्त किया है। यही कारण है कि हर वर्ष यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु उपस्थित होते हैं।
कैंची धाम का स्थापना दिवस केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता, सेवा भावना और सामाजिक समरसता का एक प्रेरणादायक पर्व बन चुका है। यहाँ न केवल श्रद्धा दिखती है, बल्कि मानवता और सहयोग की जीवंत मिसाल भी देखने को मिलती है।

