
*राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कुटुम्ब प्रबोधन: परिवार की आत्मीयता और हिन्दू मूल्यों पर ज़ोर*
*देहरादून :* राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सेलाकुई मे कुटुम्ब प्रबोधन कार्यक्रम के माध्यम से परिवार की आत्मीयता और हिन्दू मूल्यों को अक्षुण्ण बनाए रखने के महत्व पर ज़ोर दिया है। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राजेंद्र पंत ने कुटुम्ब प्रबोधन के कार्य को छह महत्वपूर्ण बिंदुओं – भजन, भोजन, भवन, भाषा, भूषा और भ्रमण के आधार पर संचालित करने की बात कही।
कार्यक्रम में मौजूद कार्यकर्ताओं और समाज के सदस्यों को संबोधित करते हुए राजेन्द्र पंत ने कहा कि आज के समय में परिवारों में आत्मीयता की परंपरा को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि परिवार के सदस्यों को दिन में कम से कम एक बार साथ मिलकर भोजन करना चाहिए, जिससे आपसी संवाद और स्नेह बना रहे।
मातृभाषा के प्रयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि परिवार के अंदर अपनी भाषा का प्रयोग हमारी संस्कृति और जड़ों से जोड़े रखता है। इसी प्रकार, हमारी वेशभूषा हमारे संस्कारों और पहचान को प्रदर्शित करती है, इसलिए हमें ऐसी वेशभूषा को अपनाना चाहिए जो हमारी संस्कृति के अनुरूप हो।
राजेन्द्र पंत ने ‘भवन’ के बिंदु पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा घर ऐसा होना चाहिए जो एक आदर्श हिन्दू घर की छवि प्रस्तुत करे, जहाँ संस्कार और परंपराएं जीवित रहें। उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे इन विषयों को लेकर समाज में जागरूकता फैलाएं, क्योंकि आज समाज को इनकी जानकारी और समझ की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में मौजूद कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर विजय तोमर और नगर संघचालक जयदीप बिजल्वाण ने भी कुटुम्ब प्रबोधन के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्यों में एक दूसरे के प्रति दायित्व की भावना होनी चाहिए और धीरे-धीरे इस विषय को समाज में व्यापक रूप से फैलाना होगा, ताकि एक आदर्श परिवार की संकल्पना साकार हो सके।
इस अवसर पर नगर कार्यवाह योगेश सेमवाल, नगर/खंड प्रचारक पीयूष, प्रकाश भट्ट, संजय कंडारी, शिवांश, अभिनव बेंजवाल, धर्मेंद्र पटवाल, अशोक, विनय, जयकृत, ज्ञान सिंह राणा, अभिषेक सैनी, राजेंद्र, प्रवीण और मोहित सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने कुटुम्ब प्रबोधन के संदेश को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
यह कार्यक्रम परिवार की नींव को मजबूत करने और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। वक्ताओं ने आशा व्यक्त की कि कुटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा और परिवारिक एकता की भावना बलवती होगी।