✍️अंकित तिवारी, देहरादून
भारत का भविष्य उसके गाँवों में बसता है, और जब गाँवों की बागडोर शिक्षित, संवेदनशील और संकल्पित युवाओं के हाथ में आने लगे तो यह संकेत है सामाजिक परिवर्तन की उस लहर का, जो सिर्फ विचारों में नहीं, जमीनी हकीकत में उतरती दिखाई दे रही है। उत्तराखंड के रायपुर विकासखंड स्थित नाहीकला गाँव की 24 वर्षीय मनीषा तिवारी का त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रधान पद के लिए मैदान में उतरना इसी परिवर्तन की गूंज है।
जहाँ आमतौर पर पंचायत चुनावों को स्थानीय दबदबे, जातीय समीकरण और पुराने राजनैतिक अनुभव का अखाड़ा माना जाता है, वहीं मनीषा तिवारी का यह कदम एक ताज़ा हवा के झोंके जैसा है। एम०ए० समाजशास्त्र तक की शिक्षा प्राप्त कर चुकी मनीषा ने अपने गाँव की समस्याओं को सिर्फ देखा नहीं, बल्कि उन्हें समझा भी है। उन्होंने ग्रामीण जीवन की असल चुनौतियों — पलायन,जल निकासी की अव्यवस्था, महिला स्वावलंबन की कमी, शिक्षा की उपेक्षा और युवा शक्ति की अनदेखी — को अपने चुनावी एजेंडे में प्राथमिकता दी है।
“मैं सिर्फ प्रधान नहीं, गाँव की जिम्मेदार बहन और बेटी बनकर सेवा करना चाहती हूँ,” यह कहना उनके सोच और दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। यह राजनीति में सेवा के तत्व को पुनर्स्थापित करने की बात है, जो अक्सर सत्ता और स्वार्थ के बीच कहीं खो सा जाता है।
आज जब शहरी युवा बड़े-बड़े शहरों में अपना भविष्य खोजने में लगे हैं, ऐसे समय में गाँव की एक शिक्षित बेटी का यह निर्णय अत्यंत प्रेरणादायक है। यह उदाहरण देता है कि यदि सही दिशा और भावना हो, तो कोई भी युवा अपने गाँव, अपने समाज और अंततः देश की तस्वीर बदल सकता है।
मनीषा तिवारी जैसी युवाओं की भागीदारी केवल स्थानीय प्रशासन में बदलाव नहीं लाती, बल्कि यह पूरे लोकतंत्र को नया जीवन देती है। ये युवा नेता न केवल बदलाव की बात करते हैं, बल्कि बदलाव को साकार करने की जिद भी रखते हैं।
इस पहल से यह संदेश भी जाता है कि महिलाओं को केवल घरेलू भूमिकाओं तक सीमित रखना अब बीते समय की बात हो गई है। मनीषा जैसे उदाहरण हमें बताते हैं कि यदि बेटियों को अवसर मिले, तो वे नेतृत्व, नीति और निष्ठा के हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा सकती हैं।
अब समय है कि हम ऐसे युवा प्रयासों को प्रोत्साहित करें, उन्हें आवश्यक संसाधन, सहयोग और मार्गदर्शन दें ताकि वे न केवल अपने गाँवों को, बल्कि देश की पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को अधिक सशक्त, पारदर्शी और उत्तरदायी बना सकें।