
*उत्तराखंड में जुमला साबित हुआ धामी सरकार का भू कानून पहाड़ी एकता मोर्चा*
पहाड़ी एकता मोर्चा के फाउंडर इं. डीपीएस रावत ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि बीजेपी सरकार ने लीपा पोथी कर भू कानून लागू तो कर दिया है पर अभी सौ गज का अहम् प्रावधान रखा है ताकि बाहरी राज्यों के लोग अभी भी जमीन खरीद सके और अगर एक ही परिवार के चार लोग मिलकर सौ सौ गज के प्लॉट खरीद सकते है तो फर्क क्या रह जाएगा पहले और अबके कानूनों में, बीजेपी और कांग्रेस की सरकारों ने 500 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदने का प्रावधान रखा था बाद में ढाई सौ स्क्वायर मीटर पर बीजेपी सरकार ने नया कानून पारित किया,और अब वहीं सौ गज का कानून लगाकर फिर से विधानसभा में पारित किया, फर्क साफ है सरकार की साफ नियत नहीं हैं।
इं. डीपीएस रावत ने कहा कि पिछले चौबीस सालो मे उत्तराखंड की जमीनों का चीरहरण हुआ है और इसमें बीजेपी कांग्रेस, यूकेडी की मिली जुली सरकार शामिल रही हैं,पिछले 24 सालों में बीजेपी कांग्रेस की सरकार बनी, पर आजतक उत्तर प्रदेश उत्तराखंड परिसंपत्तियों का ठीक से बंटवारा नहीं हुआ हैं आज भी उतर प्रदेश सरकार के पास करोड़ों रूपयों की उत्तराखंड की संपत्ति गिरफ्त है! पर उस मुद्दे पर कोई भी सरकार कुछ नहीं बोलती हैं।
एन डी तिवारी और त्रिवेन्द्र रावत की सरकार ने तो पहाडी जिलों की मसूरी, ऋषिकेश, नीलकंठ लैंसडाउन, नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत, चम्पावत, पिथौरागढ़, सभी मुख्य जमीनों को पूरा सेल कर दिया था जिसमें आज हजारों रिसॉर्ट बनकर तैयार हो चुके हैं,
इं. डीपीएस रावत ने कहा कि जब तक सरकार पूर्ण रूप से शक्त भू कानून हिमांचल प्रदेश के तरह लागू नहीं करती हैं तब तक बाहरी राज्यों के लोगों सरकारी की मिली भगत से जमीन की खरीद फ़रोद करते रहेंगे, और फिर एक दिन सरकार पच्चीस गज का भी प्रावधान लेकर विधानसभा सभा में पारित कर देगी पर तब तक पूरी जमीन बिक जायेगी! और फिर उत्तराखंड के लोगों को अपने आप पर गर्व होगा कि हमने सबसे बड़ी भूल कर दी, आज भी पहाड़ों में जमीन बेचकर लोग मालिक नहीं चौकीदार बनकर नौकरी कर रहे!