
आरक्षण अधिसूचना में खामी से अटका पंचायत चुनाव, कल हाईकोर्ट में पेश होंगे जरूरी दस्तावेज, चुनाव को लेकर आ सकता है बड़ा निर्णय
नैनीताल/ पवन रावत,
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सियासी और प्रशासनिक हलचल चरम पर है। जहां राज्य निर्वाचन आयोग ने पूरे प्रदेश में आचार संहिता लागू कर दी थी और 25 जुलाई से नामांकन प्रक्रिया शुरू होनी थी, वहीं नैनीताल हाईकोर्ट के एक आदेश ने इस पूरे चुनावी माहौल को ठंडा कर दिया है।
दरअसल, पंचायती राज विभाग द्वारा 14 जून को जारी आरक्षण की अधिसूचना पर कुछ आपत्तियां सामने आईं, जिनको लेकर मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अधिसूचना में कुछ तकनीकी खामियों की ओर इशारा करते हुए 23 जून को पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर स्थगन (स्टे) आदेश दे दिया। इसके साथ ही प्रदेश भर में चुनाव को लेकर जारी हलचल पर विराम लग गया। हाईकोर्ट के इस आदेश से जहां ग्रामीण क्षेत्र में चुनाव की तैयारी कर रहे उम्मीदवार और पार्टियां असमंजस में पड़ गईं, वहीं सरकार के सामने भी जवाबदेही का सवाल खड़ा हो गया। चुनाव प्रक्रिया पर स्टे का सबसे बड़ा कारण यह बताया गया कि आरक्षण अधिसूचना का गजट नोटिफिकेशन समय से प्रकाशित नहीं हो सका था। इस संबंध में पंचायत राज सचिव चंद्रेश कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि 14 जून को ही अधिसूचना रुड़की स्थित सरकारी प्रेस को भेज दी गई थी, लेकिन प्रेस में कई विभागों की अधिसूचनाएं एकत्र होने के कारण इसे छपने में विलंब हुआ। उन्होंने कहा कि आज वह अधिसूचना नैनीताल भेज दी गई है और कल कोर्ट में इसे प्रस्तुत किया जाएगा। सरकार का दावा है कि इस अधिसूचना पर कैबिनेट की मुहर है और यह पूरी तरह वैधानिक है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि कोर्ट इस पर आपत्ति नहीं करेगा और पंचायत चुनाव की प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकेगी।
अब देखना यह होगा कि हाईकोर्ट इस अधिसूचना को स्वीकार करता है या नहीं। यदि कोर्ट से राहत नहीं मिलती है, तो राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर और भी बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। फिलहाल राज्यभर के पंचायत क्षेत्र के नागरिकों और उम्मीदवारों की निगाहें हाईकोर्ट के अगले फैसले पर टिकी हैं।