25 दिसंबर को नंदा मां की विदाई, मंदिर परिसर में लगेगा भव्य मेला।
सुभाष पिमोली थराली
आस्था, परंपरा और लोक सस्कृति का अनुपम संगम मानी जाने वाली मां नंदा भगवती की विदाई के अवसर पर आगामी 24 दिसंबर से 25 तक देवराडा स्थित नंदा देवी मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा। इस धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन को लेकर मंदिर समिति के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। मंदिर परिसर एवं आसपास के क्षेत्रों में तैयारियां तेज कर दी गई हैं, वहीं श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर भी व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं।
नंदा देवी मंदिर समिति बधाण के अध्यक्ष भुवन चंद्र हटवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 24 दिसंबर को आयोजित मंदिर समिति की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर नंदा मां की विदाई से जुड़े सभी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई है। बैठक में धार्मिक, सांस्कृतिक एवं व्यवस्थागत पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई, ताकि यह आयोजन परंपराओं के अनुरूप और भव्य रूप में संपन्न हो सके।
पंडित हटवाल ने बताया कि 24 दिसंबर को प्रातः 10 बजे से नंदा देवी मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में क्षेत्र के महिला मंगल दल, लोक कलाकार तथा स्थानीय सांस्कृतिक दल भाग लेंगे। पारंपरिक गीत-नृत्य, देवी गीत और लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से मां नंदा की महिमा का गुणगान किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद रात्रि में जागरण एवं भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देवी भक्ति से जुड़े भजन, कीर्तन और जागरण होंगे। इसमें दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी भाग लेंगे।
25 दिसंबर को प्रातः 10 बजे से ही महानंदा मां नंदा की विदाई की विधिवत तैयारियां प्रारंभ कर दी जाएंगी। इस दौरान पुजारी मंडली एवं वेद पाठियों द्वारा विधि-विधान के साथ वेद मंत्रों का उच्चारण किया जाएगा। धार्मिक अनुष्ठानों के बाद मां नंदा की डोली को विदाई के लिए सजाया जाएगा। यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए भावनात्मक और श्रद्धा से ओत-प्रोत होगा, क्योंकि मां नंदा की विदाई को बेटी की विदाई के समान माना जाता है।
पंडित भुवन चंद्र हटवाल ने कहा कि इस पावन अवसर पर मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारी, विभिन्न गांवों के महिला मंगल दल परंपरागत वेशभूषा में मंदिर परिसर पहुंचेंगे। महिलाएं अपने-अपने गांवों की लोक परंपराओं के अनुसार गीत-नृत्य प्रस्तुत करेंगी। मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारियों के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा आसपास के गांवों से भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिससे यह आयोजन एक बड़े धार्मिक मेले का रूप ले लेगा।
बैठक में मंदिर समिति के उपाध्यक्ष ठाकुर शौर्य प्रताप सिंह रावत, संरक्षक विनोद सिंह रावत, राजेंद्र सिंह रावत, वीरेंद्र सिंह रावत सहित मंदिर समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने आयोजन को सफल बनाने के लिए अपने-अपने स्तर से सहयोग का आश्वासन दिया और व्यवस्थाओं को समय पर पूर्ण करने पर जोर दिया।
बताया गया कि महानंदा मां नंदा की विदाई यात्रा देवराडा से नंदाक (कुरुड़) के लिए प्रस्थान करती है। यह यात्रा पूरी तरह लोक सहयोग और परंपरागत मान्यताओं के अनुसार संपन्न होती है। जिस गांव तक यात्रा पहुंचती है, वहां के लोग मां नंदा का स्वागत करते हैं और फिर अगले पड़ाव तक उन्हें पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाते हैं। इस प्रकार एक गांव से दूसरे गांव तक मां नंदा की डोली लोक सहभागिता के साथ आगे बढ़ती रहती है और अंततः मां नंदा अपने मायके नंदाक पहुंचती हैं। यह परंपरा क्षेत्र की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण मानी जाती है।
मंदिर समिति द्वारा पूर्व में ही मां नंदा की विदाई का कार्यक्रम सार्वजनिक कर दिया गया था और अब तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। समिति ने इस विदाई यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना जताई है। स्थानीय लोगों के अनुसार हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं की आस्था और सहभागिता इस आयोजन को विशेष बनाएगी।
इसके साथ ही समिति ने जानकारी दी कि वर्ष 2026 में प्रस्तावित नंदा देवी राजजात यात्रा को लेकर भी शासन-प्रशासन एवं स्थानीय स्तर पर व्यापक तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं। जगह-जगह निर्माण कार्य शुरू कर दिए गए हैं, ताकि भविष्य में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। इस ऐतिहासिक राजजात यात्रा में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ऐसे में महानंदा मां की यह विदाई यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।




