
कोटद्वार में अवैध बिजली पोल लगाने के मामले में समाजसेवियों और बेरोजगार संघ ने एक्शन से मिलकर की त्वरित कार्रवाई की मांग
कोटद्वार, 10 जुलाई 2025
कोटद्वार के कुंभीचौड़ क्षेत्र में खाली प्लॉट पर अवैध रूप से सरकारी बिजली के पोल लगाए जाने के मामले में आज कोटद्वार के समाजसेवियों और उत्तराखंड बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल ने बिजली विभाग की अधिशासी अभियंता (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर) नंदिता अग्रवाल से मुलाकात की। इस दौरान उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल ने इस गंभीर अनियमितता पर तत्काल कार्रवाई की मांग की और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने का आग्रह किया।
अधिशासी अभियंता नंदिता अग्रवाल ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उनके पास संबंधित अधिकारी को निलंबित करने या प्रत्यक्ष कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। हालांकि, उन्होंने इस मामले में संबंधित अधिकारी से जवाब-तलब किया है और एक विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार कर श्रीनगर गढ़वाल में अधीक्षण अभियंता (सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर) को भेज दी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि श्रीनगर गढ़वाल में अधीक्षण अभियंता इस मामले की गहन जांच करेंगे और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
इसके बाद, राम कंडवाल ने श्रीनगर गढ़वाल में अधीक्षण अभियंता (एसई) से फोन पर बात की। अधीक्षण अभियंता ने बताया कि कोटद्वार से जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद एक-दो दिनों में इसे अंतिम रूप देकर देहरादून मुख्यालय को भेजा जाएगा, जहां इस मामले में आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
राम कंडवाल और प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी कि यदि इस मामले में जल्द और प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, तो उत्तराखंड बेरोजगार संघ और सामाजिक संगठन बिजली विभाग के कार्यालय का घेराव करेंगे और आमरण अनशन शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि यह मामला न केवल सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्र में भ्रष्टाचार और लापरवाही को भी उजागर करता है।
प्रतिनिधिमंडल में मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के जिला संयोजक रमेश भंडारी, समाजसेवी शिवानंद लखेड़ा, मनोरमा डोबरियाल, अशीष बिष्ट, राजू रावत सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।
आपको बता दे की
कुंभीचौड़ में अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बिजली के पोल लगाए जाने का खुलासा उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल ने किया… यह मामला तब और गंभीर हो गया जब स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसकी जांच की मांग की। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि बिना उचित अनुमति के पोल लगाए गए, जिससे सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का संदेह पैदा हुआ। इस तरह की अनियमितताएं न केवल सरकारी नियमों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर भी सवाल उठाती हैं।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ और मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने इस मुद्दे को न केवल बिजली विभाग की कार्यप्रणाली से जोड़ा, बल्कि इसे उत्तराखंड में व्यापक भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का हिस्सा बताया। समिति के संयोजक रमेश भंडारी ने कहा, “यह केवल बिजली पोल का मामला नहीं है, बल्कि यह सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग और स्थानीय लोगों के अधिकारों का हनन है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि इस मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, उन्होंने बिजली विभाग से कोटद्वार में बिजली आपूर्ति और बुनियादी ढांचे की स्थिति में सुधार करने की भी मांग की, ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताएं न हों।