
शिक्षा विभाग के अज़ब गजब कारनामे- बीएड सामान्य और बीएड विशेष शिक्षा के बीच फर्क करने में नाकाम-
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निकाली गई भर्ती को खुद सरकार ने पलटा
उत्तराखंड सरकार द्वारा 28 मई 2025 को जारी एक संशोधित शासनादेश ने राज्यभर के सैकड़ों बीएड (विशेष शिक्षा) + टीईटी-1 उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के भविष्य को अधर में लटका दिया है। यह शासनादेश वर्ष 2023 में घोषित 380 पदों वाली सहायक अध्यापक (प्रारंभिक) – विशेष शिक्षा भर्ती प्रक्रिया को न केवल सीमित कर रहा है, बल्कि उसी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भावना का उल्लंघन कर रहा है, जिसके आधार पर यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई थी भर्ती, अब उसी को तोड़ा गया
यह पूरी भर्ती प्रक्रिया वर्ष 2021 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा “रजनीश कुमार पांडे व अन्य बनाम भारत संघ (W.P. No. 132/2016)” में पारित उस ऐतिहासिक आदेश के अनुपालन में शुरू की गई थी, जिसमें देशभर की राज्य सरकारों को निर्देशित किया गया था कि वे समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु विशेष शिक्षकों के नियमित पद जारी करें और उनकी नियुक्तियां शीघ्र करें।
उत्तराखंड सरकार ने इस आदेश का पालन करते हुए 25 मार्च 2023 को शासनादेश जारी कर भर्ती प्रक्रिया शुरू की। इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि बीएड (विशेष शिक्षा) और डी.एड (विशेष शिक्षा) दोनों ही भारतीय पुनर्वास परिषद (RCI) द्वारा मान्यता प्राप्त योग्यताएं हैं और दोनों को प्राथमिक स्तर के शिक्षक पद हेतु पात्र माना जाएगा।
28 मई 2025 के शासनादेश में बदलाव और पदों की कटौती
नवीन शासनादेश में न केवल बीएड (विशेष शिक्षा) को अपात्र घोषित कर दिया गया, बल्कि पदों की संख्या भी 380 से घटाकर 285 कर दी गई। केवल D.Ed (विशेष शिक्षा) या समकक्ष RCI डिप्लोमा धारकों को ही अब पात्र माना गया है।
यह बदलाव न सिर्फ पूर्व चयनित अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है, बल्कि दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के अधिकार को भी प्रभावित करता है।
RCI और NCTE ने भी बीएड (विशेष शिक्षा) को पात्र माना
उत्तराखंड सरकार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में दायर हलफनामे में स्वयं यह स्वीकार किया गया कि बीएड (विशेष शिक्षा) धारकों को RCI द्वारा प्राथमिक स्तर के लिए पात्र माना गया है।
इसके अतिरिक्त, NCTE के 25 अगस्त 2010 और 29 जुलाई 2011 की अधिसूचनाओं में बीएड (विशेष शिक्षा) और डीएड (विशेष शिक्षा) को समान रूप से पात्र माना गया है — और दोनों के लिए 6 माह के ब्रिज कोर्स की शर्त निर्धारित की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी छूट — अब सरकार पूर्ण योग्य को कर रही अपात्र
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा था:
“यदि पूर्ण योग्य विशेष शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, तो अल्पकालिक प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को नियुक्त किया जा सकता है, बशर्ते वे तीन वर्षों के भीतर पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त कर लें।”
यह कथन दर्शाता है कि जहां सुप्रीम कोर्ट कम प्रशिक्षित लोगों को भी अवसर देने की बात करता है, वहीं उत्तराखंड सरकार पूर्ण प्रशिक्षित बीएड (विशेष शिक्षा) धारकों को ही बाहर कर रही है।
चयन हो चुका, सत्यापन हो चुका — फिर भी नियुक्ति से वंचित!
2023 की भर्ती प्रक्रिया में कई बीएड (विशेष शिक्षा) अभ्यर्थी:
• चयनित हो चुके थे,
• दस्तावेज़ सत्यापन भी पूर्ण हो चुका था,
• लेकिन WPSB No. 316/2023 के अंतरिम आदेश के चलते उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिए जा सके।
अब वही अभ्यर्थी नए शासनादेश की आड़ में अयोग्य घोषित किए जा रहे हैं — यह न केवल कानूनी रूप से अनुचित, बल्कि नैतिक रूप से भी निंदनीय है।
आंकड़े बताते हैं — योग्य डीएड अभ्यर्थियों की भी भारी कमी
अभ्यर्थियों के अनुसार, कई जिलों में डीएड (विशेष शिक्षा) धारक 20 से भी कम संख्या में उपलब्ध हैं, जबकि आवेदन संख्या 500 के पार थी। इसका अर्थ यह है कि यदि केवल D.Ed को पात्र माना गया तो राज्य के अधिकांश पद रिक्त रह जाएंगे, और दिव्यांग बच्चों की शिक्षा व्यवस्था और भी जटिल हो जाएगी।
RTI उत्तर से भी हुआ खुलासा: CBSE और NCTE ने बीएड (विशेष शिक्षा) को कभी अपात्र नहीं माना
सीबीएसई से प्राप्त RTI उत्तर में यह स्पष्ट किया गया कि:
“एनसीटीई ने कभी भी बीएड (विशेष शिक्षा) को TET-1 से बाहर नहीं किया है। आवेदन फॉर्म से विकल्प हटाया जाना केवल तकनीकी त्रुटि थी।”
इससे यह सिद्ध होता है कि वर्तमान में बीएड (विशेष शिक्षा) धारकों को अपात्र ठहराना तथ्यों, कानून और नीतियों के बिल्कुल खिलाफ है।
अभ्यर्थियों की चेतावनी: न्याय न मिला तो हाई कोर्ट का रुख करेंगे
प्रभावित अभ्यर्थियों ने शासन से मांग की है कि:
• 28 मई 2025 का शासनादेश तत्काल निरस्त किया जाए,
• 2023 के शासनादेश के अनुसार ही भर्ती प्रक्रिया बहाल की जाए,
• और सभी चयनित बीएड (विशेष शिक्षा) धारकों को नियुक्ति पत्र जारी किए जाएं।
अन्यथा, वे सामूहिक रूप से माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल की शरण में जाएंगे।