
महाशिवरात्रि के पर्व पर पिंडर घाटी के शिवालयों में लगा रहा श्रद्धालुओं का ताता।
सुभाष पिमोली थराली।
महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए पिंडर घाटी के शिव मंदिरों में भक्तों का विशाल हुजूम उमड़ पड़ा। सुबह से लेकर शाम तक मंदिर में भक्त भोले के दर्शन व अभिषेक करते रहे। सभी प्रमुख मंदिरों में भारी भीड़ देखी गई । सुबह चार से पिंडर घाटी के थराली स्थिति बैतालेश्वर महादेव मंदिर, गढ़वाल एवं कुमाऊं की सीमा पर स्थित अंग्यारी महादेव मंदिर, ग्वालदम स्थित नैनेश्वर महादेव, तलवाड़ी हनुमान मंदिर स्थित शिवालय,महादेव मंदिर तलवाड़ी खालसा, बौधा नाग मंदिर कुनी पार्था, कुलसारी, बेनोली लोल्टी, तुंगेश्वर में हर-हर महादेव का उद्घोष होने लगा। जिससे पूरे क्षेत्र का माहौल शिवमय हो गया। भक्तजन तड़के ही उठकर स्नान करने के बाद शिव दरबार में जा पहुंचे। भारी भीड़ के चलते भक्तों को शिव का दर्शन करने व जलाभिषेक करने के लिए लम्बी लम्बी कतारों में भी खड़े रहना पड़ा। शाम तक अभिषेक का कार्यक्रम चलता रहा।
मंदिराें में भजन-कीर्तन भी चलता रहा। बेतालेश्वर महादेव मंदिर थराली में समाजसेवी गंगा सिंह बिष्ट, प्रेम बुटोला, मंजीत पिमोली, विनोद रावत, विनोद चंदोला, व्यापार संघ अध्यक्ष संदीप रावत, नगरपंचायत अध्यक्ष सुनीता रावत, प्रमुख कविता देवी, नंदू बहुगुणा, हरेंद्र नेगी, डॉ भगत नेगी, प्रधुमन भाकुनी, हीरा बोरा, खिलाप सिंह रावत, प्रधुमन शाह, गुलाब सिंह रावत, हरीश जोशी, वीरेंद्र बिष्ट, महिपाल सिंह बिष्ट, सुशील रावत, वीरेंद्र रावत, गोदाबरी रावत, मनोज चंदोला, पृथ्वी सिंह नेगी, सुनीता नेगी, देवेंद्र रावत, कलम सिंह बोरा ने जलाभिषेक कर मनवांछित फलों के प्राप्ति की कामना की। महाशिवरात्रि के पर्व पर सुबह से ही मंदिरों में शिव भक्तों का जन सैलाब उमड़ने लगा था। हर हर महादेव, बम बम भोले के नारों से मंदिर दिन भर गूंजते रहे। अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए शाम तक भक्त मंदिर पहुंचते रहे। थराली प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भी महाशिवरात्रि पर पूरे भक्ति भाव से शिव भक्तों ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया। तड़के चार बजे से मंदिरों में जलाभिषेक शुरू हो गया। जैसे-जैसे दिन चढ़ा भक्तों की मंदिर के सामने लंबी कतारें लग गईं। हाथ में पूजा की थाली और उसमें भांग, धतूरा, मिष्ठान, फूल, फल, घृत और दीपक साथ में गंगा जल लेकर शिव गृह तक भक्तों के कदम बढ़ते गए और शिव को जलाभिषेक किया। शिव के प्रति भक्ति ऐसी कि बोल बम के जयकारे मंदिरों में गूंजते रहे।
बेतालेश्वर महादेव मंदिर थराली के महंत रजनिशानंद गिरी ने बताया कि महाशिवरात्रि को मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि आज के दिन मध्यरात्रि को नीलकंठ, त्रिनेत्रधारी भगवान शिव ने हिमालय पुत्री देवी पार्वती के साथ विवाह रचाया था, तब से शिवभक्त इस दिन को शिवरात्रि के रुप में मनाते आ रहे हैं। वहीं कहा जाता है एक बार पार्वती ने शिव से पूछा था कि हे देव आपकी कृपा पाने का श्रेष्ठ उपाय क्या है? व्रत पूजा पाठ क्या है? जिससे मृत्युलोक के वासी सहज से रुप से प्राप्त कर सकते हैं तो भगवान शिव ने शिवरात्रि का उल्लेख किया था।
उन्होंने कहा था जो भक्त श्रद्धा के साथ महाशिवरात्रि को मेरी पूजा करेंगे उनकी मनोकामना पूरी हो जाएगी। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव भक्तों ने भगवान को प्रसन्न करने के लिए दूध व जल के अलावा भांग, धतूरा, बेलपत्र, फूल, गेहूं की बाल, बेर आदि का भी भोग लगाया। भांग, धतूरा भगवान शिव का प्रिय आहार है। ज्यादातर भक्तों ने दूध व गंगा जल से अभिषेक किया। कई भक्तों ने रूद्राभिषेक भी किया। देर शाम तक पूजा-अर्चना व अभिषेक का कार्य चलता रहा। शिवालयों में महिला भक्तों की संख्या अधिक रही। हजारों भक्तों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर शिव की अनुकंपना पाने की कामना की।