
साभार :- गुनानंद जखमोला
यह कैसा तुगलकी फरमान? महिलाओं ने तीन से अधिक गहने पहने तो 50 हजार जुर्माना।
– तुम बदन पर केले के पत्ते लपेटो, कपड़े पहनना छोड़ दो
– शराब भी और खाना भी, एक वक्त खाया करो, महंगाई हो गयी
जौनसार बाबर में एक बार फिर महिलाओं पर जुल्म का नया तरीका ईजाद किया गया है। जौनसार के एक गांव कंदाड के ग्रामीणों ने एक प्रस्ताव पारित किया है। गांव की विवाहित महिलाओं को अब शादी समारोहों में तीन ही स्वर्णाभूषण पहनने की इजाजत होगी। तीन आभूषण में नाक की फूली, कान के बूंदे और मंगलसूत्र। तक दिया गया कि सोने के गहने महंगे हो गये हैं। ऐसे में समाज में स्वर्णाभूषण गरीब महिलाओं के लिए समस्या बन गया है। गांव में सर्वसम्मति से कहा गया है कि उल्लंघन करने वाले पर 50 हजार का जुर्माना होगा।
यह तुगलकी फरमान है। क्यों ऐसा क्या हो? मर्द निकम्मे हैं क्या? कमा लो और पहनाओ अपनी पत्नी को गहने? किसने रोका है? यह कुतर्क है कि महंगाई हो गयी? महंगी तो शराब हो गयी। कपड़े भी महंगे हो गये? कपड़े महंगे हो गये तो क्या गांव के मर्द केले के पत्ते लपेटेंगे? खाना भी महंगा हो गया? सस्ता क्या है, केवल महिलाओं पर जुल्म ढाना।
आखिर, कौन सी सदी में जी रहे हैं जौनसार के लोग? प्रीतम सिंह का बेटा विदेश में पढ़ा और जौनसार को अपनी विरासत समझ कर लौट आया और जिला उपाध्यक्ष बन गया। मुन्ना सिंह चौहान की मर्जी चली और मधु चौहान जबरदस्ती जौनसारियों की नेता बन गयी। क्यों? क्या बपौती है? इन दोनों ने कंदाड़ के ग्रामीणों के इस तुगलकी फरमान का विरोध क्यों नहीं किया?
जौनसार की महिलाओ ंपर क्या सदियों तक पुरुष जुल्म करते रहेंगे। पोएंड्रीे से पीछा छूटा तो अब इस तरह के फरमान। यहां आज भी महिलाओं की स्थिति बदतर है। यहां लड़कियों की साक्षरता दर 50 प्रतिशत के आसपास है जबकि उत्तराखंड महिलाओं में साक्षरता दर 70 प्रतिशत से अधिक है। यहां की महिलाओं को सरकार ने यूसीसी के दायरे से भी बाहर रखा है। जबकि यहां कम्युनिटी बेस्ड एसटी आरक्षण है, लेकिन नेताओं ने यहां की जनता को ठगने का काम किया और पूरे क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र बता दिया। इसका दुष्परिणाम यह निकला कि यूसीसी से भी इस क्षेत्र को बाहर रखा गया, जो कि पूरी तरह से गलत है।
प्रदेश सरकार और यूसीसी कमेटी को चाहिए कि जौनसार के कंदाड़ गांव के इस तुगलकी फरमान पर कार्रवाई करे और महिलाओं को मनमर्जी से गहने पहने का अधिकार दें। हद है, किस युग में रह रहे है हम?
महिला की यह इमेज सांकेतिक है।