
कैंची धाम स्थापना दिवस सम्पन्न: क़रीब सवा लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, लेकिन स्थानीयों में नाराजगी और बाजार मे रहा सन्नाटा।
पवन रावत भवाली/कैंची धाम | 15 जून 2025
नीम करौली बाबा के प्रसिद्ध कैंची धाम का स्थापना दिवस समारोह इस वर्ष भी श्रद्धा और भक्ति के माहौल में सम्पन्न हुआ। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन कर बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रशासन के अनुसार इस वर्ष करीब सवा लाख श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचे।
हालांकि, जहां एक ओर प्रशासनिक व्यवस्था कड़ी और चाक-चौबंद दिखी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों और टैक्सी चालकों में प्रशासन के प्रति नाराजगी भी खुलकर सामने आई।
इस वर्ष भवाली से कैंची धाम तक के मार्ग को Zero Zone घोषित किया गया था। श्रद्धालुओं को सिर्फ शटल सेवा के माध्यम से ही आने-जाने की अनुमति दी गई। इस व्यवस्था के चलते श्रद्धालु सीधे मंदिर तक पहुंचे और दर्शन के बाद वापस लौट गए, जिससे स्थानीय बाजारों, दुकानों और स्टॉल्स तक श्रद्धालुओं की पहुंच नहीं हो पाई।
स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि हर वर्ष की भांति उन्होंने इस बार भी मेला सीजन को ध्यान में रखते हुए सामान का स्टॉक तैयार किया था, लेकिन भीड़ के अपेक्षित स्तर तक न पहुंच पाने के कारण बिक्री पर असर पड़ा।
प्रशासन ने इस बार KMOU (केमू) बसों की संख्या बढ़ा दी, जिससे स्थानीय शटल टैक्सी चालकों को पर्याप्त सवारियाँ नहीं मिलीं। टैक्सी चालकों ने आरोप लगाया कि:
“‘लोकल फॉर वोकल’ की बात की जाती है, लेकिन मेला जैसे अवसरों पर बाहर की बसों को प्राथमिकता दी जाती है।”
अत्यधिक पुलिस बल और रोक-टोक से स्थानीयों को हुई परेशानी
प्रशासन ने मेला क्षेत्र व भवाली में भारी पुलिस बल तैनात किया, लेकिन स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि उन्हें अपने घरों तक पहुंचने में भी बार-बार रोका गया। सेवा कार्यों में लगे स्वयंसेवकों और भोजन वितरण करने वालों को भी पास होने के बावजूद आगे नहीं जाने दिया गया।
स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया कि जब पास मान्य नहीं थे, तो स्थानीय कोतवाली द्वारा पास क्यों जारी किए गए?
VIP स्कॉर्टिंग और विशेष प्रवेश पर उठे सवाल
स्थानीयों ने आरोप लगाया कि एक ओर आम नागरिकों को रोका जा रहा था, वहीं दूसरी ओर कुछ अधिकारियों की गाड़ियों को स्कॉर्ट मिल रहा था और उनकी फैमिली को विशेष प्रवेश मिल रहा था, जिससे जनता में असंतोष और आक्रोश फैल गया।
कम रही भीड़, क्या प्रशासनिक सख्ती रही कारण?
हर वर्ष कैंची धाम में जहां डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं, इस बार अनुमानित संख्या का भी आधा आंकड़ा पार नहीं हो पाया। स्थानीयों और व्यापारियों का मानना है कि प्रशासनिक नियंत्रण और सीमित आवाजाही की व्यवस्था के कारण श्रद्धालुओं की संख्या प्रभावित हुई।
स्थानीय लोगो का कहना है कि पहले मेला एक खुला, जीवंत और सांस्कृतिक अनुभव होता था, लेकिन इस बार यह एक सीमित प्रशासनिक आयोजन बनकर रह गया। न ही श्रद्धालु पूरी तरह से मुक्त घूम सके, न ही स्थानीय कारोबार को अपेक्षित लाभ मिल सका।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या आने वाले वर्षों में प्रशासन ऐसी व्यवस्था बना पाएगा जिसमें श्रद्धालुओं की सुविधा और स्थानीय जनता के आर्थिक हितों के बीच संतुलन बैठाया जा सके।
स्थानीयों का कहना है:
“मेला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, यह यहां की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। इसे एक बंधे-बंधाए ढांचे में नहीं समेटा जाना चाहिए।”