
शहीद राइफलमैन सतीश चंद्र सती के परिजनों को सेना द्वारा सम्मानित किया।
सुभाष पिमोली थराली।
“मुझे न तन चाहिए ना धन चाहिए, बस अमन से भरा यह वतन चाहिए जब तक जिंदा रहूं इस मातृभूमि के लिए, और जब मरूं तो बस तिरंगा कफन चाहिए”
भारतीय सेना द्वारा करगिल युद्ध के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उद्देश्य से ‘घर-घर शौर्य सम्मान महोत्सव’ का आयोजन किया जा रहा है । इस अभियान के तहत नायब सूबेदार सुधीर चंद्र और उनकी टीम ने अमर शहीद राइफलमैन सतीश चंद्र सती 17 गढ़वाल राइफल पुत्र महेशा नंद सती को उनके गांव सिमली नारायणबगड जाकर स्मृति चिन्ह ,सम्मान पत्र और वेलफेयर पुस्तिका भेंट कर सम्मानित किया। एक सम्मान समारोह में सेना द्वारा यह सम्मान शहीद के पिता महेशा नंद सती को दिया गया, इस मोके पर उन्होंने भावुक होकर कहा, मेरा बेटा भले ही शारीरिक रूप से नहीं है, पर आज भारतीय सेना के जवानों को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे वो यहीं कहीं है। इस अवसर पर सैन्य अधिकारी ,स्थानीय जनता , स्कूली छात्र छात्राएं, पूर्व सैनिक संगठन एवं जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। गौरतलब है कि भारतीय सेना का यह प्रयास समाज में राष्ट्रभक्ति की भावना को और प्रबल करता है ओर अमर शहीदों के बलिदान को हमेशा जीवित रखने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है। कार्यक्रम में भारतीय सेना के नायब सूबेदार सुधीर चंद्र और उनके साथ आये सेना के जवानों ने कहा हमारे साथियों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया है भारतीय सेना अमर शहीद परिवार के शौर्य और पराक्रम को हमेशा याद रखेंगा, इस मौके पर एडवोकेट नंदन सिंह रावत,प्रधान प्रशासक माधवी देवी, महेषी देवी,सीता देवी, हरेंद्र सिंह, भरत भूषण सिंह, चंद्र सिंह रावत,हर्षवर्धन सिंह,प्रमोद सिंह, देवेंद्र सिंह, चंद्र सिंह, मोहन सिंह आदि मौजूद थे,अंत मे सभी ने वीर जवानों की जय, भारत माता की जय के साथ कार्यक्रम का समापन किया !